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    रघुविन्द्र यादव के दोहा साहित्य के विविध आयाम : समीक्षात्मक कृति प्रकाशित

    फतेहपुर के डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर' ने किया संपादन, 22 विद्वानों के आलेख शामिल

    रघुविन्द्र यादव को मिल चुका है साहित्य अकादमी सम्मान 

    नारनौल, 01 फरवरी|
    नीरपुर निवासी अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार रघुविन्द्र यादव के दोहा साहित्य पर विमर्श केन्द्रित पुस्तक “रघुविन्द्र यादव के दोहा साहित्य के विविध आयाम” प्रकाशित हुई है| जिसका संपादन फतेहपुर निवासी डॉ शैलेष गुप्त ‘वीर’ ने किया है|

    डॉ. शैलेष गुप्त ने बताया कि समकालीन दोहा काव्य में यह अपनी तरह का पहला कार्य है। पुस्तक में देशभर के 22 समालोचकों, विषय विशेषज्ञों तथा विद्वानों के महत्त्वपूर्ण आलेख, शोध आलेख तथा शोध पत्र शामिल किये गए हैं| जिनमें “रघुविन्द्र यादव के दोहों में प्रतिरोध- जय चक्रवर्ती, रघुविन्द्र यादव के दोहों में शिल्प और बिम्ब विधान- राजेन्द्र वर्मा, रघुविन्द्र यादव के दोहों में राजनैतिक विमर्श- घमंडीलाल अग्रवाल, रघुविन्द्र यादव के दोहों में सामाजिक यथार्थ- कृष्णलता यादव, रघुविन्द्र यादव के दोहों में नारी-विमर्श : वेदनाजन्य आक्रोश का मुखर स्वर- डॉ. भावना तिवारी, रघुविन्द्र यादव के दोहों में नैतिक मूल्य- डॉ. लवलेश दत्त, रघुविन्द्र यादव के दोहों में जीवन सत्य और दर्शन : वर्तमान जीवन के सत्य का दार्शनिक अन्दाज़- संदीप सृजन, रघुविन्द्र यादव के दोहों में मानवीय चेतना : समय को परिभाषित करते रघुविन्द्र यादव के दोहे- डॉ. सुरंगमा यादव, रघुविन्द्र यादव के दोहों में व्यंग्य का स्वरूप- सत्यम भारती, रघुविन्द्र यादव के दोहों में हलधर के हालात- मनोज जैन, रघुविन्द्र यादव के दोहों में सामाजिक विद्रूपताएँ- सत्यवीर नाहड़िया, रघुविन्द्र यादव के दोहों में मानवीय सम्वेदना- हरीलाल 'मिलन', रघुविन्द्र यादव के दोहों में समकालीन समस्याओं का चित्रण एवं समाधान की लालसा- गरिमा सक्सेना, रघुविन्द्र यादव के दोहों में पर्यावरण बोध- पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू', रघुविन्द्र यादव के दोहों में सौन्दर्य बोध- डॉ. जे. पी. बघेल, रघुविन्द्र यादव के दोहों में सामाजिक सद्भाव- शिव कुमार 'दीपक', रघुविन्द्र यादव के दोहों में वैचारिक संघर्ष- अनामिका सिंह‌, मतलबी समाज में 'तुलसी' रोपने की चाह- मुकेश कुमार सिन्हा, नश्तर-सी चुभन भरे रघुविन्द्र यादव के दोहे- अनिल कुमार झा, रघुविन्द्र यादव के दोहों में प्रेमाभिव्यक्ति- इन्दिरा किसलय और रघुविन्द्र यादव के दोहों में युग चेतना या युगबोध- राहुल शिवाय” शामिल हैं|

    हरियाणा साहित्य अकादमी से साहित्यिक पत्रकारिता के लिए वर्ष 2021 के 'लाला देशबंधु गुप्त सम्मान' (राशि 2.5 लाख रूपये) सहित अनेक साहित्यिक, सामाजिक और शासकीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत हो चुके श्रेष्ठ दोहाकार रघुविन्द्र यादव का समकालीन दोहा के लिए महत्वपूर्ण प्रदेय है। श्री यादव की अब तक दोहा, कुण्डलिया, ग़ज़ल, लघुकथा, कविता और निबंध की कुल 22 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं| जिनमें उनके तीन मौलिक दोहा संग्रह और सात सम्पादित दोहा संकलन भी शामिल हैं| वे शोध और साहित्य की राष्ट्रीय पत्रिका ‘बाबूजी का भारतमित्र’ का 2012 से संपादन और प्रकाशन कर रहे हैं| उनके दोहा संग्रह नागफनी के फूल पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से लघुशोध भी हो चुका है| श्री यादव के दोहों का विडियो एल्बम ‘बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात’ बहुत चर्चित हुआ है और यूट्यूब पर दो करोड़ बार से ज्यादा देखा-सुना जा चुका है| रघुविन्द्र यादव ने ऑनलाइन ‘छंद कोश’ की स्थापना करके देशभर के दोहकारों के दोहे संकलित किये हैं|

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